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शुगर लो होने पर क्या करें? थोड़ी सी मीठी बदमाशी या डॉक्टर से कंसल्ट?

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शुगर लो होने पर क्या करें, अगर आपके मन में भी यह सवाल हैं तो सबसे पहल यह जान लेते हैं की इस कंडीशन को कहते क्या हैं? तो इस कंडीशन को कहा जाता हैहाइपोग्लाइसेमिया, जो कि डायबिटिक पेशेंट्स में बहुत ही कॉमनली देखे जाने वाली कंप्लेंट होती है। कुछ आसान टिप्स के बारे में जिनकी मदद से आप हाइपोग्लाइसेमिया, या लो शुगर की तकलीफ से बच सकते हैं और सावधानी लेकर ऐसी स्थितियों को टाला जा सकता है।

हाइपोग्लाइसेमिया क्या है?

ग्लूकोस हमारी बॉडी का एक मेन एनर्जी सोर्स होता है। जब भी बॉडी की शुगर लेवल 70 मिलिग्राम पर डेसीलिटर से नीचे हो जाती है, तो उसे हाइपोग्लाइसिमिया या लो शुगर की कैटेगरी में रखा जाता है। वैसे तो हाइपोग्लाइसेमिया मोस्ट कॉमनली डायबिटिक पेशेंट्स में ही देखा जाता है, लेकिन कुछ रेयर कंडीशन भी होती हैं जिनमें हाइपोग्लाइसिमिया देखा जा सकता है।

शुगर लो के लक्षण क्या है ?

जान लेते हैं हाइपोग्लाइसेमिया के पेशेंट्स कॉमनली कौन से सिम्पटम्स महसूस करते हैं। सबसे पहला सिम्पटम हो सकता है हाथ का कंपन महसूस होना। दूसरा सिम्पटम हो सकता है अचानक से बहुत ज्यादा भूख लगना। तीसरा सिम्पटम हो सकता है बहुत ज्यादा पसीना आना और उसके साथ छाती की धड़कन या पलपिटेशंस का महसूस होना।

सीरियस हाइपोग्लाइसेमिया

  • तीव्र हाइपरग्लिकेमिया या शुगर लेवल 1050 मिलिग्राम पर डेसीलिटर के अगर चले गए, तो कुछ सीरियस न्यूरोलॉजिकल सिम्पटम्स पेशेंट्स में देखे जा सकते हैं, वह हैं कंफ्यूजन, ब्लड प्रेशर या आंखों से धुंधला दिखना। कई बार फीट या फिचर की बीमारी भी सामने आ सकती है। उसी के साथ-साथ हो सकता है मरीज पूरी तरीके से बेहोश हो जाए। यह कई बार सीरियस कंडीशन होने पर पेशेंट्स कोमा में भी जा सकते हैं।

हाइपोग्लाइसेमिया के कारण

  • वो डायबिटीज पेशंट्स जो अपने ट्रीटमेंट के दौरान इंसुलिन या सुक्रोज के यूरीया नामक दवाओं का सेवन कर रहे हैं, ऐसे पेशेंट्स में हाइपोग्लाइसेमिया, लो शुगर होने के चांसेस सिग्निफिकेंटली ज्यादा हो जाते हैं। उसी के साथ वो डायबिटिक पेशेंट्स जिन्हें डायबिटीज़ के साथ-साथ किडनी और लिवर की बीमारी है, ऐसे पेशेंट्स में भी हाइपोग्लाइसेमिया कॉमनली देखा जा सकता है।

हाइपोग्लाइसेमिया के सामान्य कारण

  • जान लेते हैं पेशेंट्स में हाइपोग्लाइसेमिया कॉमनली किन कारणों की वजह से देखा जाता है। सबसे पहला कॉमन कारण होता है, मील का टाइमिंग चेंज कर देना। दूसरा कारण होता है, नीम का अमाउंट या पोर्शन सिग्निफिकेंटली कम कर देना। तीसरा कारण हो सकता है, सीरियल हेवी एक्सरसाइज करना।
  • डायबिटीज को छोड़कर कुछ रेयर कंडीशन होती हैं जिनमें हाइपोग्लाइसेमिया, लो शुगर की कंडीशन देखी जा सकती है। इन सिचुएशंस का नाम है एक्सेस एल्कोहल इनटेक। कई बार क्रिटिकल इलनेस जैसे कि लिवर इंफेक्शन, सीवियर लिवर और किडनी के प्रॉब्लम्स के केस में भी हाइपोग्लाइसेमिया देखा जा सकता है। उसी तरीके से कुछ कंडीशन ऐसी होती हैं जिसमें इंसुलिन का ओवरप्रोडक्शन होता है, जैसे कि इंसुलिनोमा में हाइपोग्लाइसिमिया देखा जा सकता है। ऐसी ही रेयर कंडीशन की लिस्ट में आगे नाम आता है हार्मोनल डेफिशियेंसी। इसका दूसरा कारण हो सकता है रिएक्टिव हाइपोग्लाइसेमिया, जिसमें कई बार एक हेवी कार्बोहाइड्रेट एंटर करने के बाद इंसुलिन प्रोडक्शन हो जाता है, जिसकी वजह से शुगर ड्रॉप हो सकती है।

हाइपोग्लाइसेमिया अनअवेयरनेस

  • जिसे कहते हैं हाइपोग्लाइसेमिया अनअवेयरनेस। कुछ रेयर पेशेंट होते हैं जिनमें सीनियर हाइपोग्लाइसेमिया या शुगर सिग्निफिकेंटली लो होने के बाद भी पेशेंट्स को सिम्पटम्स डिवेलप ही नहीं होते। यह कंडीशन काफी डेंजरस साबित हो सकती है, क्योंकि ऐसे पेशेंट को टाइम पर रिट्रीट न किया गया तो फाइनली पेशेंट के वाइटल ऑर्गंस को डैमेज हो सकता है। इस कंडीशन से बचने का एक मात्र तरीका है रेगुलर मॉनिटरिंग ऑफ शुगर्स।

शुगर लो हो तो क्या करें?

अब हम बात करेंगे उन आसान टिप्स के बारे में जिनकी मदद से हाइपोग्लाइसेमिया को हैंडल किया जा सकता है। डायबिटीज पेशेंट्स में हाइपोग्लाइसेमिया के सिम्पटम्स डिवेलप होने के वक्त रिलेटिव्स ऑपरेशन के मन में काफी पैनिक हो जाती है, जिसकी वजह से वह सभी काफी मेंटली डिस्टर्ब महसूस करते हैं। लेकिन कुछ आसान तरीकों के बारे में मैं आपको बताऊंगा जिनकी मदद से काफी हद तक मैक्सिमम हाइपोग्लाइसेमिक एपिसोड तो आप घर पर ही आसानी से मैनेज कर पाएंगे।

सिम्पटम्स डिवेलप होने पर पेशेंट को अगर पॉसिबल हो तो ग्लूकोमीटर से इमिडियटली अपने शुगर चेक कर लेना चाहिए। इसके इमिडियटली बाद 20-30 ग्राम ग्लूकोस लेने की सलाह दी जाती है, जो कि घर पर चार चम्मच ग्लूकॉन डी पानी में घोल कर देने का सजेशन दिया जाता है।

घर पर अगर ग्लूकॉन डी पाउडर अवेलेबल ना हो तो सिंपल शुगर, फ्रूट जूस, चॉकलेट, बैर या ग्लूकोस के बिस्किट खाने की सलाह दी जा सकती है। और कुछ भी नहीं हुआ तो कोई भी फूड प्रोडक्ट खाकर शरीर की शुगर आसानी से बढ़ाई जा सकती है।

हाइपोग्लाइसेमिया को प्रिवेंट करने के गाइडलाइन्स

  • हाइपोग्लाइसेमिया को प्रिवेंट करने के लिए गाइडलाइन्स का सहारा लेना चाहिए। पहला है, मील्स को स्किप न करें। दूसरा इंपोर्टेंट सजेशन है, अपने मील के पोर्शन को सिग्निफिकेंटली कम न करें। तीसरा इंपोर्टेंट सजेशन है, अपनी शुगर की टैबलेट्स का कोऑर्डिनेशन मील टाइम के साथ प्रॉपरली रखें। चौथा इंपोर्टेंट सजेशन है, एक्सट्रीम हेवी एक्सरसाइज को अवॉइड करें।

Conclusion

शुगर को टाइमली चेक करके आप हाइपोग्लाइसेमिया जैसी कंडीशन को अपने जीवन में बहुत हद तक प्रिवेंट कर सकते हैं। इन आसान टिप्स को अपनाकर आप काफी हद तक अपने हाइपोग्लाइसेमिक एपिसोड को मैनेज कर सकते हैं और शरीर की कुल स्वास्थ्य को भी मैनेज कर सकते हैं। अगर डायबिटीज की दवाएं लेने के बाद बार-बार ब्लड शुगर लेवल ड्रॉप हो रहा है, तो यह स्थिति गंभीर हो सकती है और तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है। जब आप डायबिटीज की दवाएं लेते हैं, तो वे आपकी ब्लड शुगर को नियंत्रित करने का प्रयास करती हैं। लेकिन कभी-कभी, इन दवाओं की मात्रा या प्रकार सही नहीं हो सकता, या दवाओं के साथ आपकी खानपान की आदतें, शारीरिक गतिविधियाँ, या अन्य स्वास्थ्य स्थितियाँ आपके ब्लड शुगर लेवल को प्रभावित कर सकती हैं।

यदि आप लगातार महसूस कर रहे हैं कि आपकी ब्लड शुगर लेवल अचानक से कम हो रही है, तो यह संकेत हो सकता है कि आपकी दवाओं की डोज़ में बदलाव की आवश्यकता है या आपके डायबिटीज के प्रबंधन में कोई अन्य समस्या हो सकती है। इस स्थिति में, अपने डॉक्टर से सलाह लेना बेहद महत्वपूर्ण है। डॉक्टर आपकी स्थिति का सही मूल्यांकन करके दवाओं की डोज़ को समायोजित कर सकते हैं या अन्य आवश्यक उपचार प्रदान कर सकते हैं।

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