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कहीं आप भी तो नहीं कर रहे पसली के दर्द को नजरअंदाज, अगर हां तो यह जानकारी आपके काम की है 

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हम बात करने वाले हैं पसलियों में दर्द क्यों होता है और इसके लिए क्या किया जा सकता है? चलिए, इसे समझने के लिए सबसे पहले पसलियों का स्ट्रक्चर और इससे जुड़े हुए ऑर्गन्स को समझते हैं, ताकि हम जान सकें कि इन में दर्द क्यों होता है।

स्ट्रक्चर को देखें, तो छाती में सबसे सामने जो हड्डी होती है, उसे स्टेर्नुम कहा जाता है। यहां से पसलियां दोनों साइड निकलती हैं। पसलियों का कटीला हिस्सा होता है। रीड की हड्डी या वर्टिब्रल कॉलम के साथ जुड़ी हुई पसलियां, हार्ट और फेफड़े को प्रोटेक्ट करती हैं। अगर पेट की बात करें, तो दाईं साइड पर ये लिवर को प्रोटेक्ट करती हैं और बाईं साइड पर स्प्लीन को प्रोटेक्ट करती हैं।

क्या चीजें पसलियों में दर्द का कारण बन सकती हैं? 

फेफड़े की समस्याओं की वजह से भी दर्द हो सकता है। अगर फेफड़ों में इंफेक्शन हो जाए, निमोनिया हो जाए, तो पसलियों में दर्द हो सकता है। फेफड़ों के ईद में पानी जमा हो जाए, जिसे प्लूरल एफ्यूजन कहा जाता है, उसकी वजह से भी पसलियों में दर्द हो सकता है। कभी-कभी फेफड़ों में गुफाली बन जाती है, जिसे पल्मोनरी एंबॉलिज्म कहा जाता है, जिससे भी पसलियों में दर्द हो सकता है। यह आम नहीं है, लेकिन कैंसर भी एक कारण हो सकता है।

लिवर में इंफेक्शन की वजह से भी कभी-कभी लिवर में पस हो सकता है, जिसकी वजह से दाईं साइड में पसलियों में दर्द हो सकता है। इसका निदान पेट की सोनोग्राफी या सिटी स्कैन से हो सकता है और इसके अनुसार उपचार किया जा सकता है।

इसके अलावा, पसलियों की खुद की समस्या या पसलियों के बीच के मसल्स, जिन्हें इंटरकोस्टल मसल्स कहा जाता है, की समस्या की वजह से भी दर्द हो सकता है। जैसे कि आप देख रहे हैं, ये मसल्स पसलियों के बीच होते हैं। एक गिरने या चोट लगने से पसलियां टूट सकती हैं, जिससे दर्द हो सकता है। पसलियों को सिर्फ मार लगने से फ्रैक्चर नहीं होता, लेकिन दर्द हो सकता है। कभी-कभी, मसल्स के स्ट्रेन की वजह से भी पसलियों में दर्द हो सकता है।

इंटरकोस्टल मसल्स और ये कैसे होते हैं? 

इंटरकोस्टल मसल्स की वजह से पसलियों में दर्द होता है। एंटीलॉगिंग स्पॉन्डिलाइटिस एक और बीमारी है जिसमें शरीर के ही जॉइंट्स और ऑर्गन्स पर हमला होता है। इंटरकोस्टल मसल स्क्रीन के बारे में, यानी कि आपकी पसलियों के बीच में मांसपेशियों में होने वाले तेज दर्द और जकड़न के बारे में। हम जानेंगे कि इंटरकोस्टल मसल्स स्ट्रैंथ क्या होता है, इसके क्या लक्षण होते हैं, और फिजियोथैरेपी ट्रीटमेंट में या फिर घर रहकर आप इस दर्द और सूजन को कैसे कम कर सकते हैं।
जब भी इंटरकोस्टल मसल्स पेन होता है, तो पेशंट को सांस लेने में काफी दर्द का सामना करना पड़ता है, क्योंकि इस मसल्स का काम हमारे जीपीएस को इनहेल और एक्शन करने का होता है। जब यह दर्द होता है, तो पेशंट को तेज दर्द होता है। पेशंट के लिए अपने हाथ को उठाना मुश्किल हो जाता है, लंबी सांस लेना कठिन हो जाता है। इसी समस्या को कहा जाता है इंटरकोस्टल मसल्स स्ट्रैंथ।
इंटरकोस्टल मसल पेन के सिम्पटम्स की अगर हम बात करें, तो पेशंट को जब दर्द होता है, तो उसे काफी ज्यादा शूटिंग पेन होता है, खासकर हिप्स के साइड के अंदर। इसके साथ ही वहां पर थम्स भी देखने को मिलते हैं। जब हम एक्सामिनेशन के दौरान पसलियों के बीच के एरिया पर दबाते हैं, तो जिस जगह पर टीयर होता है, वहां पर दबाने पर काफी दर्द महसूस होता है। जब दर्द कम हो जाता है, तो पेशंट के अंदर यह दिक्कत टाइटनेस में बदल जाती है, जिसके कारण पेशंट को लंबे समय तक लंबी सांस लेने में जकड़न और टाइटनेस होती है।

एंटीलॉगिंग स्पॉन्डिलाइटिस की वजह से बीच के मसल्स, जहां ये हड्डी चिपकती है, उस एरिया में सूजन होती है और दर्द होता है। इन मसल्स का फंक्शन है कि जब हम सांस लेते हैं, तो यही मसल्स कॉन्ट्रैक्ट और रिलैक्स होते हैं, जिससे पसलियां ऊपर-नीचे मूव करती हैं।

यदि यहां सूजन हो जाती है, तो सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। लंबी सांस लेने, खांसने या हँसने में दर्द बढ़ सकता है।

पसली का दर्द या इंटरकोस्टल मसल पेन vs फिजियोथेरेपी 

 इंटरकोस्टल मसल पेन के फिजियोथैरेपी ट्रीटमेंट की अगर हम बात करें, तो पेशंट के इनिशियल पेन और स्वेलिंग को कम करने के लिए हम फिजियोथेरेपी की कुछ विधियाँ यूज़ करते हैं, जैसे कि अल्ट्रासाउंड, टेंस और लेजर थेरेपी। इससे पेशंट को अपने दर्द और सूजन में काफी आराम रहता है। वहीं, जब पेशंट घर पर रहता है, तो हम बर्फ का प्रयोग करने की सलाह देते हैं, क्योंकि बर्फ से भी पेशंट की पेन और स्वेलिंग में काफी कमी आती है।

जब पेन और स्वेलिंग कम हो जाता है, तो मसल्स की स्ट्रेंथ को बढ़ाने के लिए हम कुछ एक्सरसाइज करवाते हैं, जिसमें टिप्स के बीच का अटैचमेंट स्ट्रेच होता है और पेशंट की पसलियों में हल्का स्ट्रेच फील होता है। इससे पेशंट को सांस लेने में आराम मिलता है। वहीं, कुछ तकनीक भी हम इसमें यूज़ करते हैं, जिससे पेशंट को काफी अच्छा आराम मिलता है।


अब हम बात करेंगे  उन आयुर्वेदिक नुस्खों की जो आपको इस दर्द से छुटकारा देने  में मदद कर सकते है:

पान में खाए जाने वाले चूने का उपयोग करे पसली की दर्द में फायदा 


अगर आप की भी असली में दर्द किसी  चोट या अन्य कारणों से ह होने वाले दर्द के इलाज के लिए पान और शहद में इस्तेमाल होने वाले चूने का उपयोग किया जा सकता है। इस दर्द में चूने का उपयोग बहुत लाभकारी माना जाता है। प्राचीन काल से ही आयुर्वेद में चूने का प्रयोग इस समस्या के समाधान के लिए किया जाता रहा है। पान या शहद में खाए जाने वाले चूने को लेकर उसका पेस्ट तैयार करें और उसे दर्द वाली जगह पर लगाएं। कुछ ही समय में आपको राहत मिलेगी।

पसलियों के दर्द में सरसों के तेल का उपयोग

पसलियों में दर्द होने पर सरसों के तेल का उपयोग बहुत फायदेमंद होता है। आप सरसों के तेल को तारपीन तेल के साथ मिलाकर दर्द वाली जगह पर मालिश करें। दिन में दो से तीन बार इस तेल की मालिश करने से आपको दर्द से राहत मिलेगी।

गेहूं की रोटी का उपयोग

पसलियों के दर्द से राहत पाने के लिए गेहूं के आटे से बनी रोटी का उपयोग कर सकते हैं। आयुर्वेद में यह उपाय दर्द कम करने के लिए कई समस्याओं में किया जाता है। गेहूं के आटे से मोटी रोटी बनाएं और उसे एक तरफ से सेंक लें। जिस तरफ सिंकाई नहीं हुई है, उस पर हल्का गुनगुना सरसों का तेल और हल्दी का पेस्ट लगाएं। इस रोटी को दर्द वाली जगह पर किसी कपड़े से बांध दें। इससे आपको तुरंत राहत मिलेगी। हड्डियों के दर्द के लिए भी यह उपाय प्रभावी है।

पसलियों में दर्द एक सामान्य समस्या है जो विभिन्न कारणों से उत्पन्न हो सकती है, जैसे फेफड़ों की समस्याएं, लिवर इंफेक्शन, या पसलियों और इंटरकोस्टल मसल्स की समस्याएं। दर्द का कारण जानना आवश्यक है ताकि उचित उपचार किया जा सके।

फेफड़ों के संक्रमण, प्लूरल एफ्यूजन, पल्मोनरी एंबॉलिज्म, और लिवर की समस्याओं के अलावा, पसलियों के बीच के मसल्स के तनाव और सूजन भी दर्द का कारण बन सकते हैं। इंटरकोस्टल मसल्स की सूजन और दर्द की स्थिति में विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत होती है। फिजियोथैरेपी और घरेलू उपचार जैसे बर्फ का प्रयोग और मसल्स स्ट्रेंथनिंग एक्सरसाइज भी इस समस्या में राहत प्रदान कर सकते हैं।

घरेलू उपचार के रूप में, पान में खाए जाने वाले चूने का पेस्ट, सरसों के तेल की मालिश, और गेहूं की रोटी का प्रयोग प्रभावी साबित हो सकता है। ये उपाय आयुर्वेदिक सिद्धांतों पर आधारित हैं और दर्द को कम करने में सहायक होते हैं।

अंततः, यदि पसलियों के दर्द की समस्या लगातार बनी रहती है या बढ़ जाती है, तो चिकित्सीय सलाह लेना महत्वपूर्ण है। उचित जांच और उपचार से दर्द को जल्दी और प्रभावी ढंग से ठीक किया जा सकता है।

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