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अंडाशय में सिस्ट: ओवेरियन सिस्ट के प्रकार, इलाज और बाईं अंडाशय में सिस्ट की जानकारी हिंदी में

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आज हम बात करने वाले हैं ओवेरियन सिस्ट के बारे में। ओवेरियन सिस्ट आजकल बहुत ही आम समस्या हो गई है। ओवरी, यानी महिलाओं का वह अंग जहां से अंडे बनते हैं, यदि इस जगह पर कोई मास या गांठ बन जाती है, तो उसे ओवेरियन सिस्ट कहा जाता है। ओवरी फीमेल बॉडी का बहुत ही जरूरी हिस्सा होती है। अगर ओवरी में अंडा ना बने, तो कोई भी महिला गर्भवती नहीं हो पाएगी। ओवरी का काम है हर महीने कम से कम एक अंडा बनाना और उसे रिलीज करना, साथ ही ओवरी का काम महिला के शरीर में हार्मोन भी बनाना है। अगर ओवरी के अंदर कोई गांठ हो जाती है, तो इससे शरीर के नॉर्मल फंक्शंस में काफी गड़बड़ होने लगती है, जिसकी वजह से मरीज को कई प्रकार के सिम्पटम्स आते हैं।

किसी भी महिला के दो अंडाशय होते हैं, और जब इन अंडाशयों में कोई तरल पदार्थ से भरी थैली उत्पन्न हो जाती है, तो उसे ओवेरियन सिस्ट कहा जाता है। किसी भी महिला को ओवेरियन सिस्ट होने की संभावना उसकी ज़िंदगी में एक या दो बार होती है। सामान्यतः ये सिस्ट खुद-ब-खुद तीन-चार महीने में ठीक हो जाते हैं और अधिकांश समय में ये कैंसर रहित होते हैं। इसका कैंसर में बदलने की संभावना बहुत कम होती है।

इसके अलावा, यह भी माना गया है कि 18 प्रतिशत महिलाओं में वंशानुगत या हार्मोनल असंतुलन के कारण ओवेरियन सिस्ट होते हैं। इनमें से कुछ सिस्ट कैंसरजनक हो सकते हैं, जबकि कुछ नहीं। आमतौर पर ये सिस्ट बिना किसी लक्षण के होते हैं और किसी अल्ट्रासाउंड या जांच के दौरान पता चल सकते हैं।

ओवेरियन सिस्ट के सिम्पटम्स

ओवेरियन सिस्ट के सिम्पटम्स की बात करें तो ये खासकर तीन प्रकार के होते हैं:

मासिक धर्म की अनियमितता:

अगर किसी महिला को ओवरी में सिस्ट हो गई है, तो सबसे पहले हार्मोनल इंबैलेंस होता है। पेशेंट का मासिक धर्म या तो जल्दी आ सकता है, या कई बार यह दो या तीन महीने तक लेट भी हो सकता है। साथ ही, कई मरीजों में यह भी देखा गया है कि मासिक धर्म बहुत ज्यादा होता है, और कुछ मामलों में यह बिल्कुल नाममात्र भी हो सकता है। कुछ मरीजों में मासिक धर्म काफी दर्दनाक भी हो सकता है, जिसके लिए इंजेक्शन या दवाई लेनी पड़ती है।

पेट के निचले हिस्से में दर्द:

इसके अगले सिमटेम की अगर बात की जाए तो पेट के निचले हिस्से में दर्द, डिस्कॉम्फर्ट, या हेवीनेस रहना, क्योंकि जब गांठ बड़ी हो जाती है, तो यह ओवरी को स्ट्रेच करती है। इसके कारण पेशेंट को डिस्कॉम्फर्ट या दर्द होता है। तीसरा सिम्प्टम होता है डिस्पर, यानी जब पेशेंट सेक्सुअल कॉन्टैक्ट करता है, तो उसे अंदर की ओर दर्द होता है।

ओवेरियन सिस्ट की टाइप्स

सिम्प्टम्स के बाद, अब हम ओवेरियन सिस्ट की टाइप्स के बारे में बात करेंगे। ओवेरियन सिस्ट तीन प्रकार की होती हैं: सिंपल, कंपलेक्स, और ओवेरियन ट्यूमर्स।

सिंपल सिस्ट:

इन्हें फंक्शनल सिस्ट भी कहा जाता है क्योंकि ये ओवरी के फंक्शन से संबंधित होती हैं। जैसे कि हमें पता है, फीमेल बॉडी में चौथे या पंद्रहवे दिन एक फॉलिकल बनता है। इस फॉलिकल से अंडा रिलीज होता है। अगर फॉलिकल में फॉलिकल सेल्स बचती हैं, तो उन्हें फॉलिकुलर सिस्ट कहते हैं।

फॉलिकुलर सिस्ट:

जब फ्लूइड भर जाता है और वह सिस्ट का रूप ले लेता है, तो इसे फॉलिकुलर सिस्ट कहते हैं। कॉर्पस लुटियम सिस्ट तब बनती है जब फॉलिकल से अंडा तो रिलीज हो जाता है, लेकिन अंडा रिलीज के बाद जो कॉर्पस लुटियम सेल्स हैं, उनके अंदर क्लियर लिक्विड या फ्लूइड भर जाता है और वह एक सिस्ट का रूप ले लेता है।

कंपलेक्स सिस्ट:

इनमें तीन प्रकार की होती हैं:

  • एंडोमेट्रियोसिस सिस्ट: यह तब बनती है जब एंडोमेट्रियोसिस डिजीज के कारण ओवरी में एंडोमेट्रियोसिस सिस्ट बन जाती है। इसमें बच्चेदानी की लाइनिंग ओवरी के अंदर विकसित हो जाती है, जिससे ब्लीडिंग होती है और सिस्ट का आकार बढ़ता है। इसको मेडिकल या सर्जिकल ट्रीटमेंट की आवश्यकता हो सकती है।
  • हेमरेज सिस्ट: जब ब्लीडिंग हो जाती है, तो पेशेंट को दर्द और सिस्ट के रिजल्ट में टाइम लग सकता है।
  • पीसीओडी (पॉलीसिस्टिक ओवरी डिजीज): इसमें फॉलिकल्स की सतह पर छोटी-छोटी सिस्ट बन जाती हैं, जो हार्मोनल इंबैलेंस के कारण होती हैं। यह सिस्ट खुद ब खुद ठीक हो जाती हैं और ऑपरेशन की जरूरत नहीं होती।

ओवरी में ट्यूमर्स भी दो प्रकार के होते हैं:

  • बेनाइन ट्यूमर्स: ये कैंसर रहित होते हैं।
  • मैलिग्नेंट ट्यूमर्स: अगर इनका आकार बड़ा हो जाए और लंबे समय तक बनते रहें, तो ये कैंसर में विकसित हो सकते हैं।

कमेंट ट्यूमर (डर्मेटोइड) भी एक प्रकार का ट्यूमर है, और गंभीर मामलों में यह कैंसर का रिस्क बढ़ा सकता है। यदि पारिवारिक इतिहास में ओवेरियन कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, या अन्य प्रकार के कैंसर की उपस्थिति है, तो इन महिलाओं को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, यदि जीन प्रिस्पोजीशन (BRCA1 और BRCA2) के कारण कैंसर का जोखिम अधिक हो सकता है। उम्र भी एक महत्वपूर्ण कारक है, 50 साल की उम्र के बाद कैंसर की संभावना बढ़ जाती है।

सिस्ट की पहचान के लिए हार्मोनल टेस्ट, प्रेगनेंसी टेस्ट, और अल्ट्रासाउंड किया जाता है। अगर सिस्ट कैंसर संदिग्ध है, तो सीटी स्कैन और एमआरआई भी किया जा सकता है।

इलाज में हार्मोनल थैरेपी, गर्भनिरोधक गोलियाँ, और कभी-कभी सर्जरी शामिल होती है। लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से सिस्ट को हटाया जा सकता है, और अगर स्थिति गंभीर हो तो पेट की ओपन सर्जरी भी की जा सकती है।

ओवेरियन सिस्ट एक आम स्वास्थ्य समस्या है जो महिलाओं में अंडाशय में तरल पदार्थ से भरी थैली के रूप में प्रकट होती है। हालांकि यह सिस्ट अक्सर खुद-ब-खुद ठीक हो जाते हैं और सामान्यतः कैंसर रहित होते हैं, फिर भी यह जरूरी है कि महिलाएं इसके लक्षणों को गंभीरता से लें और समय पर मेडिकल सलाह प्राप्त करें। मासिक धर्म में असामान्यता, पेट के निचले हिस्से में दर्द, और सेक्सुअल डिस्कॉम्फर्ट इसके सामान्य लक्षण हैं।

ओवेरियन सिस्ट की विभिन्न प्रकार की होती हैं, जिनमें सिंपल सिस्ट, कंपलेक्स सिस्ट, और ट्यूमर्स शामिल हैं। सिस्ट की पहचान के लिए हार्मोनल टेस्ट, अल्ट्रासाउंड, और यदि आवश्यक हो, तो सीटी स्कैन और एमआरआई का सहारा लिया जाता है। उपचार में हार्मोनल थैरेपी, गर्भनिरोधक गोलियाँ, और सर्जरी शामिल हो सकती है, जो स्थिति की गंभीरता पर निर्भर करता है।

महिलाओं को नियमित स्वास्थ्य जांच और लक्षणों की निगरानी से ओवेरियन सिस्ट की स्थिति को समय पर पहचानना और उपचार करना चाहिए। यदि कोई लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना सबसे अच्छा है ताकि स्वास्थ्य समस्याओं को गंभीर रूप से बढ़ने से रोका जा सके।

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