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नींद की ओवरडोज़: ज्यादा नींद आने का मुख्य कारण और इसके हिलेरियस नुक़सान | Jyada Neend Aane Ka Karan

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हाइपरसोम्निया क्या है?

हाइपर सोमनिया आप अगर इस शब्द कोतोड़ दें तो सोमनिया का मतलब होता है नींद, हाइपर का जरूर से ज्यादा।। कुछ लोगों को अक्सर आपने बोलते हुए सुना होगा, “रॉकस्टार, हमें नींद कम आती है।” लेकिन वहीं बिना कुछ किए ही थके और सोए रहते हैं। जब आदमी को नॉर्मल के पीछे ज्यादा नींद आने लगे, तो इसे हम बोलते हैं “hypersomnia”।

हाइपरसोम्निया अलग इसलिए है क्योंकि अनुमान हमारे शरीर को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि हम लोगों को छह से आठ घंटे रात में नींद लेने के लिए और दिन में एक से दो घंटे की हल्की सी नींद लेने के लिए दिन में इस तरह बनाया गया है। लेकिन अगर किसी आदमी को ऐसा होता है कि वह शरीर की जरूरत से ज्यादा नींद आने लगती है—सुबह ज्यादा सो रहा है, उठने के बाद उसे दोबारा नींद आ रही है, दोपहर में ज्यादा सो रहा है, खाना खाने के बाद नींद आ रही है, शाम को नींद आ रही है, या रात में नींद आ रही है—तो यह समझा जाता है कि हाइपरसोम्निया हो सकता है।

हाइपरसोम्निया के लक्षण

अगर सोने का वक्त 10 घंटे से ज्यादा बढ़ जाता है या 12 घंटे से ज्यादा बढ़ जाता है, तो समझना होगा कि हाइपरसोम्निया की अलग-अलग कैटिगरियां होती हैं। इसके अनुसार हमें आगे देखना पड़ता है कि यह प्लस किस ग्रेड का है और किस तरह का उपचार प्रदान करना है। लेकिन हाइपरसोम्निया केवल इतना नहीं है कि आदमी बिस्तर पर लेटकर सोने लगता है और बहुत देर तक नींद आती है। हाइपरसोम्निया एक बीमारी है, बीमारी का मतलब है कि उसे सोने के लिए बिस्तर की जरूरत नहीं होती।

ऐसे लोग, जिनको हाइपरसोम्निया की दिक्कत होती है, आपने कई लोगों को देखा होगा कि वह रात में सोकर आए, सुबह ट्रेन पकड़े हैं, ट्रेन मे सोए हुए हैं, लोकल ट्रेन के अंदर हाथ पकड़े हुए हैं लेकिन सो रहे हैं। वह खड़े-खड़े सो सकते हैं, बैठ-बैठ कर चेयर पर सो सकते हैं, मेट्रो ट्रेन में बैठे-बैठे सो जाते हैं। शरीर की टोन, जो शरीर में खिंचाव होता है, जिसके सहारे हम सीधे खड़े हो पाते हैं, वह चला जाता है। कई बार तो इतनी ज्यादा नींद हो जाती है कि मरीज अचानक से खड़े-खड़े गिर जाता है।

उसको पता नहीं चलता, कई बार खड़े-खड़े उसके हाथ से कोई समान छूट जाता है क्योंकि वह नींद में चला जाता है और अपने आप को रोक नहीं पाता। ये सारे लक्षण हाइपरसोम्निया के हो सकते हैं, लेकिन जैसा मैंने बताया, पहले अलग-अलग कैटिगरियां होती हैं—कभी यह माइल्ड होता है, कभी यह मॉडरेट होता है और कभी यह सीजर बन जाता है। लेकिन साधारण भाषा में कहा जाए तो जब आदमी 12 घंटे से ज्यादा सोने लग जाए पूरे दिन में, तो हम इसे हाइपरसोम्निया बोल सकते हैं।

हाइपरसोम्निया का कारण

हाइपर सोमनिया, नींद के कर्म में गड़बड़ होना है।  हाइपरसोम्निया कर्म में गड़बड़ होना प्रॉब्लम करता है। नींद कैसे आती है? हमारे शरीर के अंदर कुछ ऐसी जगहें हैं, ब्रेन के अंदर, जो नींद को इंड्यूस करती हैं, नींद की शुरुआत करती हैं और नींद को बनाए रखती हैं, और कई बार नींद को खोलती भी हैं। जैसे हम रात में सोने जाते हैं, तो लाइट बंद कर दी जाती है ताकि आंखों से रोशनी अंदर ना जाए, जिससे दिमाग में सिंगल सिग्नल पहुंचे।

जब वहां पहुंचता है, तो नींद शुरू हो जाती है। अगर ज्यादा रोशनी बनती है, तो आदमी को नींद नहीं आती। इसके अलावा, हमारे शरीर के अंदर हाइपोथैलेमस एरिया नींद को रेगुलेट करने के लिए होता है। सुबह-सुबह जब आखों में रोशनी पड़ती है, खिड़की से धूप आ रही है, सूरज की रोशनी पड़ रही है, तो नींद खुल जाती है। हाइपरसोम्निया का कारण भी इसी में है—किसी वजह से हाइपोथैलेमस का फंक्शन सही से नहीं हो रहा हो।

हाइपरसोम्निया से जुड़ी समस्याएं

जब आपको लगता है कि आपका काम इसकी वजह से इफेक्ट होता है, साधारण भाषा में कहा जाए, जब तक आपके पास काम नहीं है—जब तक आप घर में खाली हैं, रेस्ट का दिन है, संडे है, कम काफी सारा फ्री करके आए हैं, तब आप सो सकते हैं। लेकिन अगर आपको काम पर जाना है, सोमवार है, सुबह 9 बजे ऑफिस पहुंचना है, और नींद खुल गई, तैयार हो गए, लेकिन आंखें नहीं खुल रही हैं, गाड़ी चला रहे हैं और चलते-चलते अचानक सिर जा रहा है, फाइल देख रहे हैं लेकिन कंसंट्रेशन नहीं बन पा रहा, नींद आ रही है।

कई बार फाइल छूट जाती है, कई बार आप नीचे गिर जाते हैं, या तो फिर काम कर रहे हैं लेकिन बहुत गिर पड़ रहे हैं। आपका ध्यान नहीं है, आप पूरा दिन सोते रहते हैं, आपकी सैलरी कितनी होती है? घर में परिवार में दिक्कत है, आपने घर के काम पूरी तरह से नहीं किए हैं। अगर आपकी पत्नी है, तो वह आपसे शिकायत कर रही है कि दिन भर नींद में रहते हो और घर की दिक्कत हो गई है। अगर आप स्टूडेंट हैं, तो स्कूल में दिक्कत होने लगती है।

आप स्कूल जा रहे हैं, वहां टेस्ट में सो रहे हैं, होमवर्क भूल गए हैं क्योंकि नींद की वजह से आप उसे याद नहीं कर पा रहे हैं। ये सारे संकेत हैं कि आपको डॉक्टर के पास जाना चाहिए।

कैसे हो सकता है हाइपरसोम्निया का डायग्नोसिस 

हाइपरसोम्निया का डायग्नोसिस कोई बड़ी चीज नहीं है जिसके लिए डॉक्टर की ही जरूरत पड़े। आप खुद अपने आप में डॉक्टर हैं। जैसा मैंने आपको पहले बताया, अगर आपकी नींद आपके इन तीन जगहों पर—स्कूल में, घर में, या ऑफिस में—दिक्कत दे रही है, तब जब आप नहीं चाहते कि आपको सोना है, यह आपको बताता है कि आपको डॉक्टर से मिलना चाहिए।

डॉक्टर के पास आएंगे तो हम बातचीत करके स्थिति समझेंगे। हमारे पास और भी टूल्स होते हैं, जिनसे हम नींद के घंटों को कैलकुलेट करते हैं, जिससे पता चलता है कि कितना बढ़ रहा है और कितना ज्यादा है। सीनियरिटी ज्यादा ध्यान देते हैं, क्योंकि डायग्नोसिस बनाना सिंपल है।

हाइपरसोम्निया के इलाज के विकल्प

नींद की आजकल कई दवाइयां उपलब्ध हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमें पूरी जिंदगी दवा खानी है। फार्माकोलॉजिकल मैनेजमेंट के अलावा नॉन-फार्माकोलॉजिकल मैनेजमेंट भी उपलब्ध है, जैसे योग और प्राणायाम। दवाइयां भी हैं, जो नींद कम करती हैं और आदमी को सक्रिय रखती हैं।

हाइपरसोम्निया को शुरुआती स्टेज में या माइल्ड केसों में आप रोक सकते हैं। सीनियर केस या मॉडरेट केस में दवा लेनी पड़ती है, लेकिन माइल्ड केस में, अगर हाइपरसोम्निया बहुत लोअर स्टेट में है, तो आप खुद से कोशिश कर सकते हैं।

अच्छी नींद के लिए जरूरी टिप्स

  • आप योग करें, प्राणायाम करें और स्लीप हाइजीन का ध्यान दें। 
  • गलत टाइम पर सोना और उठना, जैसे मोबाइल की स्क्रीन देखना, नींद की क्वालिटी को प्रभावित करता है। 
  • रात में एक अच्छी नींद के लिए कुछ पंच फंडे हैं: रात में 6 बजे के बाद कैफीन रिलेटेड प्रोडक्ट्स जैसे कॉफ़ी, चाय, या कोल्ड ड्रिंक ना पिएं; खाना खाने के एक डेढ़ घंटे बाद सोएं; खाना खाने के बाद 15 मिनट की लाइट वॉक करें; स्क्रीन का इस्तेमाल बंद कर दें; और अगर नींद शुरू में नहीं आती है, तो 20 मिनट से ज्यादा परेशान न हों।
  • योग और प्राणायाम करने से आपकी हाइपरसोम्निया की दिक्कत बिल्कुल ठीक हो सकती है।
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