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एनोरेक्सिया: जब वजन कम करने की चिंता बन जाती है बीमारी

एनोरेक्सिया: जब वजन कम करने की चिंता बन जाती है बीमारी

क्या आप जानते हैं कि कुछ लोग खाने से इतना डरते हैं कि वे खाना खाने से ही बचते हैं? उनका वजन कम करने का इतना जुनून होता है कि वे खुद को भूखा रखने लगते हैं। ये समस्या सिर्फ एक आदत नहीं, बल्कि एक मानसिक बीमारी है जिसे एनोरेक्सिया नर्वोसा (Anorexia Nervosa) कहा जाता है।

इस लेख में, हम आपको एनोरेक्सिया के बारे में बताएंगे, इसके लक्षण, इसके कारण और इसे ठीक करने के उपाय समझाएंगे ताकि आप और आपके आसपास के लोग इस बीमारी से बच सकें।

एनोरेक्सिया क्या है?

एनोरेक्सिया एक गंभीर खाने से जुड़ी मानसिक बीमारी है जिसमें व्यक्ति खुद को बहुत पतला समझता है, भले ही वह पहले से ही सामान्य वजन में हो। इस बीमारी में व्यक्ति को लगातार यह डर रहता है कि उसका वजन बढ़ जाएगा और वह मोटा हो जाएगा। इस डर के कारण वे जानबूझकर भूखा रहना शुरू कर देते हैं या बहुत कम मात्रा में खाना खाते हैं।

यह मानसिक विकार व्यक्ति को अपनी शरीर की छवि के बारे में गलत धारणा देता है। उन्हें लगता है कि वे मोटे हैं, जबकि असल में वे अत्यधिक पतले होते हैं।

एनोरेक्सिया के लक्षण

एनोरेक्सिया के कुछ प्रमुख लक्षण हैं, जिन्हें पहचानना बहुत जरूरी है:

बहुत कम खाना: व्यक्ति जानबूझकर खाने से परहेज करता है और जितना हो सके कम खाता है।

वजन घटाने का जुनून: व्यक्ति लगातार अपना वजन कम करने की कोशिश करता है, भले ही उसका वजन पहले से ही सामान्य हो या उससे कम हो।

शारीरिक कमजोरी: बार-बार कमजोरी महसूस करना, हाथ-पैरों में कंपकंपी होना और शरीर में कमजोरी आना।

भूख न लगना: पेट में भूख महसूस होने के बावजूद भी व्यक्ति खाना नहीं खाता।

शरीर की छवि को लेकर असंतोष: व्यक्ति को लगता है कि वह मोटा है, जबकि असल में वह बहुत पतला होता है।

ज्यादा व्यायाम करना: वजन घटाने के लिए व्यक्ति बहुत ज्यादा व्यायाम करता है, जैसे घंटों ट्रेडमिल पर चलना।

स्किन का पीला पड़ना: व्यक्ति का रंग पीला या पीला-सा दिखने लगता है।

डर और घबराहट: खाना खाने से डर लगता है कि कहीं वजन न बढ़ जाए।

अगर आपको अपने आसपास किसी व्यक्ति में यह लक्षण दिखें, तो यह एनोरेक्सिया हो सकता है।

एनोरेक्सिया क्यों होता है?

एनोरेक्सिया के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

शारीरिक छवि का दबाव: समाज में एक “आदर्श शरीर” की छवि होती है, जैसे कि पतला होना ही खूबसूरत होना माना जाता है। इस दबाव के कारण लोग खुद को उस छवि में फिट करने की कोशिश करते हैं और अपने शरीर से असंतुष्ट हो जाते हैं।

बुलीइंग (तानों से परेशान होना): अगर किसी व्यक्ति को उसके वजन या शरीर के कारण बार-बार ताने मारे जाते हैं, तो उसे अपने वजन को लेकर चिंता हो सकती है और वह एनोरेक्सिया का शिकार हो सकता है।

मानसिक तनाव: जब कोई व्यक्ति मानसिक रूप से तनाव में होता है, तो वह खुद को कमजोर या अनाकर्षक समझने लगता है। इसका असर उसकी खाने की आदतों पर भी पड़ता है, और वह खाना कम कर देता है।

सोशल मीडिया: आजकल सोशल मीडिया पर “आदर्श” दिखने का बहुत दबाव होता है। इस प्लेटफार्म पर पतले और आकर्षक लोगों को देखकर लोग अपने शरीर से असंतुष्ट हो जाते हैं और वजन कम करने की कोशिश में खुद को भूखा रखते हैं।

एनोरेक्सिया के दुष्परिणाम

एनोरेक्सिया से शरीर और मन दोनों को नुकसान हो सकता है। इसके कुछ गंभीर दुष्परिणाम इस प्रकार हैं:

शरीर में कमजोरी: जब व्यक्ति खाना नहीं खाता, तो उसका शरीर कमजोर हो जाता है और उसे चलने-फिरने में भी परेशानी होती है।

हड्डियों का कमजोर होना: लंबे समय तक भूखा रहने से शरीर को कैल्शियम नहीं मिलता, जिससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और जल्दी टूटने का खतरा होता है।

हार्ट की समस्या: बहुत ज्यादा भूखा रहने से दिल की धड़कन धीमी हो जाती है, जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।

डिप्रेशन: एनोरेक्सिया के शिकार लोग मानसिक रूप से बहुत कमजोर हो जाते हैं, उन्हें डिप्रेशन और घबराहट का सामना करना पड़ता है।

मृत्यु: एनोरेक्सिया बहुत गंभीर स्थिति में व्यक्ति की जान भी ले सकता है। लगातार भूखे रहने और शरीर को जरूरी पोषक तत्व न मिलने से शरीर काम करना बंद कर सकता है।

एनोरेक्सिया से बचाव कैसे करें?

एनोरेक्सिया से बचने के लिए कुछ उपायों का पालन किया जा सकता है:

समाज के मानकों को बदलें: सबसे पहले, हमें समाज के “आदर्श शरीर” के मानकों को बदलना होगा। हर शरीर खूबसूरत है, चाहे वह पतला हो या मोटा। इसे हमें समझना और दूसरों को समझाना जरूरी है।

खुद से प्यार करें: जो भी आपका शरीर है, उसे अपनाएं। खुद से प्यार करें और अपने शरीर की कद्र करें। किसी और की तरह बनने की कोशिश न करें।

संतुलित आहार लें: हमेशा संतुलित आहार लें जिसमें सभी जरूरी पोषक तत्व शामिल हों। जरूरत से कम या ज्यादा खाना नुकसानदायक हो सकता है।

समर्थन लें: अगर आपको लगे कि आपको एनोरेक्सिया के लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो तुरंत किसी परिवार के सदस्य या डॉक्टर से मदद लें। मनोवैज्ञानिक और चिकित्सक आपकी स्थिति को समझकर सही मार्गदर्शन देंगे।

सोशल मीडिया से दूरी: अगर सोशल मीडिया पर आप किसी की बॉडी देखकर परेशान होते हैं, तो उनसे दूरी बनाए रखें। वास्तविक जीवन में अपने आप से जुड़ें और अपने मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखें।

एनोरेक्सिया का इलाज

अगर कोई व्यक्ति एनोरेक्सिया से पीड़ित है, तो उसे कुछ उपचारों की जरूरत होती है:

मनोचिकित्सा (Counseling)

 एनोरेक्सिया मानसिक समस्या है, इसलिए इसका इलाज मानसिक रूप से ही किया जा सकता है। मनोचिकित्सक की मदद से व्यक्ति अपने डर, चिंता और गलत धारणाओं से छुटकारा पा सकता है।

पोषण विशेषज्ञ से मदद

 पोषण विशेषज्ञ यह सलाह देते हैं कि व्यक्ति को क्या खाना चाहिए और किस मात्रा में खाना चाहिए। वे व्यक्ति की भूख और खाने की आदतों को सामान्य करने में मदद करते हैं।

परिवार और दोस्तों का सहयोग

परिवार और दोस्तों का साथ इस बीमारी से बाहर आने में बहुत महत्वपूर्ण होता है। व्यक्ति को प्यार और समर्थन से उसकी मानसिक स्थिति सुधर सकती है।

दवाइयां

कभी-कभी एनोरेक्सिया के साथ डिप्रेशन या चिंता भी होती है, जिसके लिए डॉक्टर कुछ दवाइयां दे सकते हैं।

निष्कर्ष

एनोरेक्सिया नर्वोसा एक गंभीर मानसिक बीमारी है जो व्यक्ति के शरीर और मन दोनों को प्रभावित करती है। यह बीमारी वजन को लेकर गलत धारणाओं के कारण होती है, जिससे व्यक्ति खुद को भूखा रखना शुरू कर देता है।

हमें समाज में “आदर्श शरीर” की गलत धारणा को बदलना होगा और हर किसी को यह समझना चाहिए कि असली खूबसूरती शरीर के आकार में नहीं, बल्कि आत्म-प्रेम और स्वास्थ्य में होती है।

अगर आप या आपका कोई प्रिय इस समस्या से गुजर रहा है, तो तुरंत विशेषज्ञ से मदद लें। सही समय पर इलाज से इस बीमारी को ठीक किया जा सकता है और व्यक्ति फिर से स्वस्थ जीवन जी सकता है।

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