अगर भारतीय है तो अक्सर आपने देखा होगा कि यहां सर्दी के दिनों में तिल का बहुत इस्तेमाल किया जाता है। तिल गुड़ की गज़क बनाई जाती है, रेवड़ी बनाई जाती है, बिल्कुल के लड्डू बनाए जाते हैं। और तो और, मकर संक्रांति पर तिल की मिठाई एक-दूसरे को उपहार स्वरूप भेंट की जाती है। पर कुछ लोगों को तिल का इस्तेमाल सूट करता है और कुछ लोगों को तिल का इस्तेमाल सूट नहीं करता है। तो इस लेख में हम बात करेंगे तिल की। जानेंगे की इसके क्या-क्या फायदे हैं, जिनका इस्तेमाल इन लोगों को करना चाहिए और जिनको तिल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
तिल के पोषक तत्व
सबसे पहले बात करते हैं मॉडर्न साइंस के अनुसार तिल में क्या-क्या पोषक तत्व पाए जाते हैं। तो तिल में ऑइल यानी फैट लगभग 50% की मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा इसमें प्रोटीन होता है, 27-28 प्रतिशत तक लगभग प्रोटीन पाया जाता है। का ओवरहेड आ जाता है 15-16 प्रतिशत, कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है। इसके अलावा इसमें फाइबर भी होता है। इसमें कई सारे मिनरल्स भी होते हैं। कैल्शियम इसमें बहुत भरपूर मात्रा में होता है। कैल्शियम का यह बहुत अच्छा स्रोत है। इसके अलावा इसमें आयरन, मैग्नीशियम, जिंक, फास्फोरस, पोटेशियम आदि भी पाए जाते हैं। तो कुल मिलाकर मॉडर्न साइंस के अनुसार अगर देखें, तो तिल पोषण से भरपूर है।
सफेद और काले तिल: कौन सा अधिक लाभकारी?
वैसे तो तिल दो तरह के होते है, सफेद और काले।दोनों ही तरह के तिल में लगभग समान पोषक तत्व भरे होते हैं। दोनों ही आपकी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। लेकिन आयुर्वेद के अनुसार काले तिल का सेवन करना आपके लिए ज़्यादा फायदेमंद माना जाता है। सफेद तिल की अपेक्षा काला तिल आयरन का बेहतर स्रोत है। इसमें फाइबर भी ज्यादा होता है इसलिए इसका सेवन और भी लाभकारी होता है।
आयुर्वेद में तिल का स्थान
अब बात करते हैं कि आयुर्वेद के अनुसार तिल के क्या-क्या गुण बताए गए हैं। तो आयुर्वेद में बताया गया है कि तिल गुरु है, यानी यह भारी है। यह देर से पचता है। यह स्निग्ध है, यानी यह शरीर में चिकनापन पैदा करता है। शरीर की व्यवस्था है, यही रूखेपन को मिटाता है। तिल मधुर रसयुक्त होता है। यह स्वाद में मीठा होता है और इसमें अनुरक्त और कषाय होते हैं। यानी जब आप तिल को खाते होंगे, तो यह पहले मीठा लगता होगा, बाद में इसमें हल्का सा कड़वा पन या कसैलापन आपको अच्छा होगा। तो यह इसी अनुभव की वजह से आता है।
अब इसकी तासीर के बारे में बात करते हैं। तासीर इसकी गर्म होती है। तिल उष्णवीर्य है और उस मुद्दे का होने के कारण ही यह प्रबल वातशामक है, यानी यह वात दोष का शमन करता है। तो जो लोग वात प्रकृति के हैं, जिन लोगों में वात दोष बढ़ा रहता है, उन लोगों के लिए तिल का इस्तेमाल बहुत ही लाभकारी होता है। तो जो लोग पतले हों, जिन लोगों को ठंड से नहीं होती है, या जिन लोगों के शरीर में रूखापन हो, रूखापन हो, जो लोग तेजी से चलते हैं, जो लोग हर कार्य जल्दबाजी में करते हैं, जिन लोगों के जोड़ों में जॉइंट में कमजोरी हो, जिन लोगों के जॉइंट से आवाज आती हो, जिन लोगों की मैथुन शक्तियां अल्प हों, जिन लोगों के स्टेमिना कम हो, और जिन लोगों की इम्यूनिटी पावर कम हो, उन लोगों को तिल का इस्तेमाल बहुत ही लाभदायक है।
जिन लोगों की याददाश्त कमजोर हो, उन लोगों के लिए तिल का इस्तेमाल बहुत ही लाभकारी है। इसके अलावा, तिल के लिए बताया गया है, की बालों के लिए, योनि प्रदेश के लिए यह बहुत ही उपयोगी है। तिल का तेल आयुर्वेद में सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। यानी सभी तेलों में तिल का तेल सर्वश्रेष्ठ बताया गया है और बालों की रक्षा के लिए, बालों को घना बनाए रखने के लिए, बालों को असमय सफेद होने के लिए, तिल के तेल का इस्तेमाल बहुत ही उपयोगी है।
तिल के तेल से मालिश
आयुर्वेद में दिनचर्या के अनुसार संपूर्ण शरीर पर रोजाना मालिश करने के लिए कहा गया है। रोजाना अभ्यंग यानी मसाज करने के लिए कहा गया है और वह मसाज रोजाना तिल के तेल से करनी चाहिए। अगर आप संपूर्ण शरीर की मसाज नहीं कर पा रहे हैं, तो कम से कम शरीर के तीन अंगों में आपको तेल जरूर लगाना चाहिए। l तो संपूर्ण शरीर की रूखापन दूर करने के लिए, चमक बढ़ाने के लिए, कांति बनाने के लिए, आपको रोजाना तिल के तेल की मालिश संपूर्ण शरीर पर करनी चाहिए।
तिल देता है दांतो को फ़ायदा
तिल का इस्तेमाल दांतो के लिए भी बहुत हितकर है। तो जिन लोगों के दांतों में जमा पैदा हो गया हो, जो लोग पायरिया से ग्रस्त हों, या जिन लोगों के दांत कमजोर हो गए हों, उन लोगों को दो से तीन चम्मच तिल चबा-चबा कर अच्छी प्रकार से खाना चाहिए। चबा-चबा कर अच्छी प्रकार से तिल खाने से दांत मजबूत होते हैं। दांतों पर जमा गंदगी की शिकायत कम हो जाती है। पायरिया में भी धीरे-धीरे आराम मिलता है। इसके अलावा, जिन लोगों के जोड़ों में दर्द रहता है, मांसपेशियों में दर्द रहता है, उन लोगों के लिए भी तिल का इस्तेमाल बहुत ही लाभदायक है।
नाक से जुडी समस्याओं में देगा फ़ायदा
नाक से जुडी समस्या है जिन लोगों को उन लोगों को सबसे पहले तिल को सूंघ लेना है, इससे ही काफी आराम मिलता है।
जोड़ो के दर्द में रामबाण है तिल
जोड़ो में दर्द है तो इसे भूनने के बाद उसे दूध में डालकर पीस लेना है। दूध में डालकर पीसने से जो लेयर बनेगा, उस लेप को दर्द के स्थान पर लगा देना है। इस प्रकार लेप लगाने से दर्द में धीरे-धीरे राहत मिलने लगती है। इसके अलावा, आपको 50 ग्राम तिल लेने हैं और 25 ग्राम सोंठ लेनी है। दोनों को मिलाकर अच्छी प्रकार से पीस लेना है। पीसकर चूर्ण बना लेना है। इस प्रकार बने हुए चूर्ण का इस्तेमाल एक-एक चम्मच की मात्रा में सुबह और शाम गुनगुने पानी के साथ करना है। इस प्रकार इन दोनों प्रयोगों का इस्तेमाल करने से आपके जोड़ों के दर्द में बहुत आराम मिलेगा। जोड़ मजबूत हो जाएंगे और वायु दोष धीरे-धीरे कम होने लगेगा।
इसके अलावा, तिल बलवर्धक है, वाजीकरण है। तो जो लोग दुबले-पतले हों, जो लोग अपने शरीर में बल की वृद्धि करना चाहते हों, जो लोग शरीर को बलवान बनाना चाहते हों, अपने शरीर में वीर्य की वृद्धि करना चाहते हों, ताकत बढ़ाना चाहते हों, उन लोगों के लिए भी तिल का इस्तेमाल बहुत ही उपयोगी है।
आप शरीर की ताकत बढ़ाने के लिए, मैथुन शक्ति बढ़ाने के लिए तिल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
इसके अलावा, तिल उन स्त्रियों के लिए भी बहुत उपयोगी है, जिन स्त्रियों को मासिक धर्म में कष्ट होता हो या मासिक धर्म बहुत कम मात्रा में होता हो। उन स्त्रियों के लिए भी तिल का इस्तेमाल बहुत ही उपयोगी है।
क्या आप तिल सूट करेगा या नहीं पहले यह जरूर चैक करें
अब बात करते हैं कि किन लोगों को तिल सूट नहीं करेगा या किन लोगों को तिल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। तो जो लोग पित्त प्रकृति के हों, यानी जिन लोगों में पित्त दोष की अधिकता हो, जिन लोगों का शरीर गर्म रहता हो, जिन लोगों का स्वभाव गर्म हो, जिन लोगों को गुस्सा ज़्यादा आता हो, या जिन लोगों के शरीर में ज़्यादा चर्बी हो, जो लोग मोटापे के शिकार हों, इन लोगों को तिल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इसके अलावा, गर्भवती स्त्रियों को भी तिल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इसके अलावा, जिन स्त्रियों को मासिक धर्म ज़्यादा मात्रा में आता है, उन्हें भी तिल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।